श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
करूँ अब अनवरत सेवा तेरे चरणों की दासी हूँ।।
सहारा छूटता अपना तुम्हारा ही सहारा है
तुम्हीं में प्राण वसता है तुम्हें मैंने पुकारा है।
करो करुणा मेरे स्वामी तुम्हारे बिन उदासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
किया निर्माण यदि मैंनें कुआं वापी तलावों का
धर्म पथ आचरण करके किया पूजन कलाओं का।
चली सत्कर्म के पथ पर मैं तन मन से उपासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
सिंह का भाग यदि गीदड़ नहीं शोभित निगलता है
प्राण तजना ही श्रेयस्कर यही मन से निकलता है।
तुम्हारी सहचरी बनकर करूँ विचरण उपासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
मातु गौरी के पूजन की रीति कुल के हमारी है
मिलन होगा वहीं अपना यही मन में विचारी है।
भान अपना नहीं मुझको चाह में तव उजासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/12/blog-post.html
करूँ अब अनवरत सेवा तेरे चरणों की दासी हूँ।।
सहारा छूटता अपना तुम्हारा ही सहारा है
तुम्हीं में प्राण वसता है तुम्हें मैंने पुकारा है।
करो करुणा मेरे स्वामी तुम्हारे बिन उदासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
किया निर्माण यदि मैंनें कुआं वापी तलावों का
धर्म पथ आचरण करके किया पूजन कलाओं का।
चली सत्कर्म के पथ पर मैं तन मन से उपासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
सिंह का भाग यदि गीदड़ नहीं शोभित निगलता है
प्राण तजना ही श्रेयस्कर यही मन से निकलता है।
तुम्हारी सहचरी बनकर करूँ विचरण उपासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।
मातु गौरी के पूजन की रीति कुल के हमारी है
मिलन होगा वहीं अपना यही मन में विचारी है।
भान अपना नहीं मुझको चाह में तव उजासी हूँ।
श्याम मेरे प्राण - प्यारे तेरे दर्शन को प्यासी हूँ।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/12/blog-post.html