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शनिवार, 23 नवंबर 2019

श्याम सुन्दर तुम्हें निशिदिन नयन भरकर निहारूँ मैं
नाम  जिह्वा  पे  जब  आये  तुम्हारा  ही  पुकारूँ मैं।।
कौन किसका जगत में है नाम का ही सहारा है
तुम्हीं अवलम्ब हो मेरे भला किसको उचारूँ मैं।। 
पड़ा मझधार में अब मैं तुम्ही पतवार हो मेरे 
नहीं सामर्थ्य है अपनी स्वयं नौका उबारूँ मैं।। 
माया में ही उलझा हूँ नहीं सुलझा जिसे पाया 
कमाया ही नहीं कुछ भी जिसे चरणों में वारूँ मैं।।
नहीं अक्षत नहीं कुमकुम नहीं नैवेद्य की थाली 
भावों के सुमन से ही तेरी आरति उतारूँ मैं।। 
कृपामय कर कृपा मुझ पर निवेदन कर रहा तुमसे 
तारा सबको है मुझको भी तारोगे बिचारूँ मैं।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html

बुधवार, 20 नवंबर 2019

श्याम     हमारे     दीन        पुकारे
आ  जाओ   नंद   दुलारे,
दरश के लिए।।
लागी लगन तुमसे सूझे न कुछ भी
झरते   नयन    रतनारे,
दरश के लिए।।
साँसें   जपें   तुमको  उर  में  समाये
तुम   ही   हो  प्राणाधारे,
दरश के लिए।।
तुम हो दिवस मेरे रजनी भी तुम ही
साँझ    भई    भिनसारे,
दरश के लिए ।।
दास  प्रभू  तेरा  विनती  करे  तुमसे
ले चलो भव से  किनारे,
दरश के लिए ।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html

शनिवार, 9 नवंबर 2019

मन से  राम  भजो  या  श्याम
भज लो निशिदिन आठो याम।
भव  से  पार  करे   हरि  नाम- 2।।
जिसने गज को मुक्ति दिलाया
विष को अमृत किया पिलाया।
भज  लो  उसको सुबहो शाम
भव  से  पार  करे   हरि  नाम।। 
जिसने  अन्तर्मन   से   ध्याया
सुख वैभव यश सब कुछ पाया। 
दूर     हो    गये    सारे    झाम
भव  से   पार  करे   हरि  नाम।। 
रूपमाधुरी     कर      रसपान
शाश्वत गुण  का कर गुणगान। 
सोहे    श्यामा   जिसके   वाम
भव  से  पार  करे   हरि  नाम।।
सारे  कर्मों   को   कर   अर्पण
जग की अभिलाषा कर तर्पण। 
बन    जायेंगे   बिगड़े    काम
भव  से  पार  करे   हरि  नाम।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html