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सोमवार, 29 मार्च 2021

जग में न कोई अपना

जग  में  न  कोई  अपना बस तेरा सहारा है

भव  पार करो  मोहन  अब  तुम्हें  पुकारा  है ।। 

जीवन  के  समन्दर  में  तूफान  बहुत  आये

जो  साथ  साथ   चलते  वो   दूरियां  बनाये। 

दुनियाँ को देख  मैंने अब  तुमको  निहारा  है

भव पार करो मोहन...................................।।

माया  के  मोह में  ही  दिनरात फॅसा  फिरता

कुछ  हाथ नहीं आता उठता ही रहता  गिरता ।

करुणाकर कर  करुणा  तुमको  ही जोहारा है

भव पार करो मोहन.................................   ।।

कर दिया समर्पित अब निज जीवन की नौका

इस जयप्रकाश को दो  बस  थोड़ा  सा  मौका ।

मुझको  भी  पार कर दो बहुतों  को  उबारा  है

भव पार करो मोहन...................................  ।।

https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2021/03/blog-post.html

गुरुवार, 5 मार्च 2020

भजन

श्याम तुमको भजूँ कैसे साथ यह तन नहीं देता
व्याधियां जो उपज बैठीं उसी से मन नहीं देता।।
सुधार माधुरी अपनी  जरा-सा  पान  करवाओ
जगत के सार हो तुम ही सहारा कन नहीं देता।।
तुम्हारी ही कृपा से यह जगत अविराम चलता है
शाम प्रातः दिवस रजनी एक भी छन नहीं देता।।
तेरी सूरत हृदय पट में नित्य धुंधली पड़ी जाती
आसरा एक है  तेरा  जो  अपनापन  नहीं  देता।।
जगत के सब सुखों का सुख भला कैसे कोई पाये
दारा सुत और घर का पास में  धन  नहीं  देता।।
दरश की आसरा तेरे अभी तक प्राण  तन  में  हैं
भला कब तक चलेगा यों जो तू दर्शन नहीं देता।।
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2020/03/blog-post.html

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

श्याम  मेरे  प्राण - प्यारे  तेरे  दर्शन  को  प्यासी हूँ।
करूँ अब अनवरत सेवा तेरे चरणों की दासी हूँ।।
सहारा    छूटता    अपना    तुम्हारा   ही  सहारा है
तुम्हीं   में   प्राण  वसता  है  तुम्हें  मैंने  पुकारा   है।
करो  करुणा  मेरे  स्वामी  तुम्हारे  बिन उदासी हूँ।
श्याम  मेरे  प्राण - प्यारे  तेरे  दर्शन  को  प्यासी हूँ।
किया  निर्माण  यदि  मैंनें  कुआं  वापी  तलावों  का
धर्म पथ आचरण करके किया पूजन कलाओं का। 
चली  सत्कर्म  के पथ पर मैं तन मन से उपासी हूँ।
श्याम  मेरे  प्राण - प्यारे  तेरे  दर्शन  को  प्यासी हूँ।
सिंह का भाग यदि गीदड़ नहीं शोभित निगलता है
प्राण तजना ही श्रेयस्कर यही मन से निकलता है। 
तुम्हारी  सहचरी बनकर करूँ विचरण उपासी हूँ।
श्याम  मेरे  प्राण - प्यारे  तेरे  दर्शन  को  प्यासी हूँ।
मातु  गौरी  के  पूजन  की  रीति  कुल  के हमारी है
मिलन  होगा  वहीं  अपना  यही मन में विचारी है।
भान  अपना  नहीं  मुझको चाह में तव उजासी हूँ।
श्याम  मेरे  प्राण - प्यारे  तेरे  दर्शन  को  प्यासी हूँ।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/12/blog-post.html

शनिवार, 23 नवंबर 2019

श्याम सुन्दर तुम्हें निशिदिन नयन भरकर निहारूँ मैं
नाम  जिह्वा  पे  जब  आये  तुम्हारा  ही  पुकारूँ मैं।।
कौन किसका जगत में है नाम का ही सहारा है
तुम्हीं अवलम्ब हो मेरे भला किसको उचारूँ मैं।। 
पड़ा मझधार में अब मैं तुम्ही पतवार हो मेरे 
नहीं सामर्थ्य है अपनी स्वयं नौका उबारूँ मैं।। 
माया में ही उलझा हूँ नहीं सुलझा जिसे पाया 
कमाया ही नहीं कुछ भी जिसे चरणों में वारूँ मैं।।
नहीं अक्षत नहीं कुमकुम नहीं नैवेद्य की थाली 
भावों के सुमन से ही तेरी आरति उतारूँ मैं।। 
कृपामय कर कृपा मुझ पर निवेदन कर रहा तुमसे 
तारा सबको है मुझको भी तारोगे बिचारूँ मैं।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html

बुधवार, 20 नवंबर 2019

श्याम     हमारे     दीन        पुकारे
आ  जाओ   नंद   दुलारे,
दरश के लिए।।
लागी लगन तुमसे सूझे न कुछ भी
झरते   नयन    रतनारे,
दरश के लिए।।
साँसें   जपें   तुमको  उर  में  समाये
तुम   ही   हो  प्राणाधारे,
दरश के लिए।।
तुम हो दिवस मेरे रजनी भी तुम ही
साँझ    भई    भिनसारे,
दरश के लिए ।।
दास  प्रभू  तेरा  विनती  करे  तुमसे
ले चलो भव से  किनारे,
दरश के लिए ।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html

शनिवार, 9 नवंबर 2019

मन से  राम  भजो  या  श्याम
भज लो निशिदिन आठो याम।
भव  से  पार  करे   हरि  नाम- 2।।
जिसने गज को मुक्ति दिलाया
विष को अमृत किया पिलाया।
भज  लो  उसको सुबहो शाम
भव  से  पार  करे   हरि  नाम।। 
जिसने  अन्तर्मन   से   ध्याया
सुख वैभव यश सब कुछ पाया। 
दूर     हो    गये    सारे    झाम
भव  से   पार  करे   हरि  नाम।। 
रूपमाधुरी     कर      रसपान
शाश्वत गुण  का कर गुणगान। 
सोहे    श्यामा   जिसके   वाम
भव  से  पार  करे   हरि  नाम।।
सारे  कर्मों   को   कर   अर्पण
जग की अभिलाषा कर तर्पण। 
बन    जायेंगे   बिगड़े    काम
भव  से  पार  करे   हरि  नाम।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html




रविवार, 27 अक्तूबर 2019

दीपमालिका  सज  गयी  पावन  उत्सव  पाय
उर आनन्दित हो  गया  खुशियां  नहीं समाय।
खुशियां नहीं समाय विविध विध रच रंगोली
मीठे    की    भरमार   देख    झूमे    हमजोली।
गणपति  गौरि  मनाय साथ में मातु कालिका
महालक्ष्मी    पूजन      करती     दीपमालिका।।
दीपावली पर्व की असीम शुभकामनाएं
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/10/blog-post_27.html