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रविवार, 27 अक्तूबर 2019

दीपमालिका  सज  गयी  पावन  उत्सव  पाय
उर आनन्दित हो  गया  खुशियां  नहीं समाय।
खुशियां नहीं समाय विविध विध रच रंगोली
मीठे    की    भरमार   देख    झूमे    हमजोली।
गणपति  गौरि  मनाय साथ में मातु कालिका
महालक्ष्मी    पूजन      करती     दीपमालिका।।
दीपावली पर्व की असीम शुभकामनाएं
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/10/blog-post_27.html

रविवार, 13 अक्तूबर 2019

गजल

घनश्याम  का   सहारा,गोविन्द   नाम   प्यारा।
करुणानिधान      आये,जिसने   उसे   पुकारा।।
जब जा रही थी लज्जा,आवाज   दी   द्रुपदजा।
आया  वो  लाज  रखने, बस कर दिया इशारा।।
रस्ता   बहारी    शबरी, चन्दन लगायी कुबरी।
दर्शन    दिया    प्रभू   ने, जी भरके  है  निहारा।।
गजराज   को     उबारा, फिर ग्राह को है मारा।
विषपान    किया    मीरा, गोपाल    है    हमारा।।
सनमान  से   जो   पाया, विदुरानी साग खाया।
लज्जा  रखी  भगत  की, सम्मान   हो  विचारा।।
भज  नाम  गुरु  से पाया, वेदों  ने  भी  है गाया।
अब मिल गया जो न हो, मानुष जनम दोबारा।।
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/10/blog-post_13.html


शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

गीत

हे   यदुनन्दन   हे    राधापति, माधव  तुमको कोटिश प्रणाम
चैतन्य रूप तव अतुलित गति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
संदर्भ  रहित  तुम  गुणनिधान,  अध्यायों  में अतिमधुर गान
तुम  निराकार  साकार  तुम्हीं,   प्रगटित   है  तुमसे नवविहान।।
संपूर्ण   जीव   के    पूर्ण   यति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे   यदुनन्दन   हे    राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
अन्तर्यामी     हो    मायापति, मधु - व्याप्त सुधा    के गागर हो
तुम जगत नियन्ता सर्वेश्वर, सर्वज्ञ सकल सुख
सागर हो
तुम व्यय ही हो तव नहीं छति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम 
हे   यदुनन्दन   हे    राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
कण - कणवासी हो अविनाशी, अवतार रहित, अवतार रूप 
सम्मोहित जगती सकल जीव, जीवों के तुम ही सार रूप 
ज्ञानी   में  भरते  विमल  मति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम 
हे   यदुनन्दन   हे    राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
मन वचन काय त्रयताप विनाशक, बुद्धि विकासक तारक हो
नटराज तुम्हीं ऋतुराज तुम्हीं, ऋतुऐं परिवर्तन कारक हो
तव सुन्दरता झुक जाती रति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम 
हे   यदुनन्दन   हे    राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
अब कृपा करो हे कृपासिन्धु, मम जीवन तरणी पार करो
आशीष  प्रदान  करो अपना, प्रारब्ध भुला उद्धार करो
परिपूरित  क्षमाशीलता कति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम 
हे   यदुनन्दन   हे    राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
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गुरुवार, 3 अक्तूबर 2019

गीत

मन मोहन का सुमिरन कर ले, भज ले माधव प्यारे
बोलो राधे राधे,
बोलो जय श्री राधे
कर ललाट धनु तिलक सुहावै, भज ले राघव प्यारे
बोलो राधे  -  राधे
बोलो जय श्री राधे
विषयों के विष में देखो कैसी बनी है आज जिन्दगी
दम्भ - द्वेष से तन में मन में भरी है कितनी  गन्दगी
दूर करो सब विषय वासना, सबको नाधव प्यारे
बोलो राधे  -  राधे
बोलो जय श्री राधे
सुभग छटा है जिनकी तिरछी नजर है मुस्कान भी 
अपने भगत के लिए तजते  हैं  अपना जो मान भी 
जिसको भज के सखा बन गये, कान्हा ऊधव प्यारे
बोलो राधे  -  राधे
बोलो जय श्री राधे
भजन करेगा तुझको मुक्ति मिलेगी संसार से 
जन्म मरन के तेरे  बन्धन  कटेंगे इक बार से 
द्वार खोल देते जो अपना, हमको सूधव प्यारे
बोलो राधे  -  राधे 
बोलो जय श्री राधे
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