जग में न कोई अपना बस तेरा सहारा है
भव पार करो मोहन अब तुम्हें पुकारा है ।।
जीवन के समन्दर में तूफान बहुत आये
जो साथ साथ चलते वो दूरियां बनाये।
दुनियाँ को देख मैंने अब तुमको निहारा है
भव पार करो मोहन...................................।।
माया के मोह में ही दिनरात फॅसा फिरता
कुछ हाथ नहीं आता उठता ही रहता गिरता ।
करुणाकर कर करुणा तुमको ही जोहारा है
भव पार करो मोहन................................. ।।
कर दिया समर्पित अब निज जीवन की नौका
इस जयप्रकाश को दो बस थोड़ा सा मौका ।
मुझको भी पार कर दो बहुतों को उबारा है
भव पार करो मोहन................................... ।।
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