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गुरुवार, 5 मार्च 2020

भजन

श्याम तुमको भजूँ कैसे साथ यह तन नहीं देता
व्याधियां जो उपज बैठीं उसी से मन नहीं देता।।
सुधार माधुरी अपनी  जरा-सा  पान  करवाओ
जगत के सार हो तुम ही सहारा कन नहीं देता।।
तुम्हारी ही कृपा से यह जगत अविराम चलता है
शाम प्रातः दिवस रजनी एक भी छन नहीं देता।।
तेरी सूरत हृदय पट में नित्य धुंधली पड़ी जाती
आसरा एक है  तेरा  जो  अपनापन  नहीं  देता।।
जगत के सब सुखों का सुख भला कैसे कोई पाये
दारा सुत और घर का पास में  धन  नहीं  देता।।
दरश की आसरा तेरे अभी तक प्राण  तन  में  हैं
भला कब तक चलेगा यों जो तू दर्शन नहीं देता।।
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