मित्रों एक लोक गीत समर्पित है=>
पिया आये तौ घरवा दुवार अजब महकै लागा।
सुनी कोयल कै मीठी पुकार जिया चहकै लागा॥
अखिया से अखिया मिली उनसे जैसे,
सोचि न पाई बाति करी वनसे कैसे,
मिटा मनवा कै हमरे गुबार,जिया लहकै लागा।
पिया आये""""॥
तोहरी सुरति पिया कब से बसायन,
तोहरे दरश कहैं जिनगी गवायन,
बहि अँखियन से अँसुवन की धार,
पिया बहकै लागा।
पिया आये""""॥
जिनगी सुफल भई तोहरा के पायन,
प्रेम कै गीति आजु मनवा से गायन,
उठै बार-बार मन मा मल्हार,
जिया कहुँकै लागा।
पिया आये""""॥
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2017/08/blog-post.html
पिया आये तौ घरवा दुवार अजब महकै लागा।
सुनी कोयल कै मीठी पुकार जिया चहकै लागा॥
अखिया से अखिया मिली उनसे जैसे,
सोचि न पाई बाति करी वनसे कैसे,
मिटा मनवा कै हमरे गुबार,जिया लहकै लागा।
पिया आये""""॥
तोहरी सुरति पिया कब से बसायन,
तोहरे दरश कहैं जिनगी गवायन,
बहि अँखियन से अँसुवन की धार,
पिया बहकै लागा।
पिया आये""""॥
जिनगी सुफल भई तोहरा के पायन,
प्रेम कै गीति आजु मनवा से गायन,
उठै बार-बार मन मा मल्हार,
जिया कहुँकै लागा।
पिया आये""""॥
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