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मंगलवार, 29 अगस्त 2017

अवधी गीत

मित्रों एक लोक गीत समर्पित है=>

पिया आये तौ घरवा दुवार अजब महकै लागा।
सुनी कोयल कै मीठी पुकार जिया चहकै लागा॥
अखिया से अखिया मिली उनसे जैसे,
सोचि न पाई बाति करी वनसे कैसे,
मिटा मनवा कै हमरे गुबार,जिया लहकै लागा।
पिया आये""""॥
तोहरी सुरति पिया कब से बसायन,
तोहरे दरश कहैं जिनगी गवायन,
बहि अँखियन से अँसुवन की धार,
पिया बहकै लागा।
पिया आये""""॥
जिनगी सुफल भई तोहरा के पायन,
प्रेम कै गीति आजु मनवा से गायन,
उठै बार-बार मन मा मल्हार,
जिया कहुँकै लागा।
पिया आये""""॥
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