मुक्तक--------
प्रेम उल्लास मन के सभी ढह गये
स्वार्थ ही स्वार्थ में सबके सब बह गये
नेह अन्तस में दोनों के पलता नहीं
आज सम्बन्ध-सम्बन्ध नन रह गये//
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2017/08/blog-post.html
प्रेम उल्लास मन के सभी ढह गये
स्वार्थ ही स्वार्थ में सबके सब बह गये
नेह अन्तस में दोनों के पलता नहीं
आज सम्बन्ध-सम्बन्ध नन रह गये//
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2017/08/blog-post.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें