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शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

देवी-गीत

 जगत जननी हे जगदम्बे सहारा मां तुम्हारा है। 

फँसा माया में मोहित मां लाल तेरा पुकारा है।


दयामय मां दया से ही दया हरपल बरसती है।

मनोरथ साथ जो लाये मनोरथ सब परसती है।

शरण आया गवां सब कुछ उसे तुमने दुलारा है।

जगत जननी हे जगद‌म्बे सहारा मां तुम्हारा है।। 


घनी माया के बंधन में फँसाती हो नचाती हो। 

जनम-मृत्यु कराती हो हँसाती हो रुलाती हो ।

तुम्हें जो रात-दिन जपता उसे भव से उतारा है।। 

जगत जननी है जगदम्बे सहारा माँ तुम्हारा है ।।


विपति आये जो बेटों पर उसे माँ सह नहीं पाती।

सवारी सिंह की लेकर चतुर्भुज रूप में आती ।

पार भव से करे उसको जिसे माँ का सहारा है। 

जगत जननी हे जगदम्बे सहारा मां तुम्हारा है ।।



https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2025/11/blog-post_14.html

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