नवटर वेश चतुर्भुज बँसिया सुहावनि हो ।
सखिया जनमें हैं कंस जेहलिया महलिया नंद सोहर हो ।
वहि रे जशोदा के मंदिरवा रुदन करैं कान्हा हो ।
सखिया सुनि बाबा नंद जी धावैं मोहरिया लुटावैं हो।
चेरी दौरि के देंय सनेस गोतिनि सब धावैं हो।
सखिया हींकि भरि देंय अशीष ललन मुख निरखैं हो ।
चहुँ दिश मंगल शोर सुहावन लागै गोकुल हो।
साखिया नंद बजावैं ढोल तासा लुटावै अन-धन सोनवाँ हो।
जे गावै मंगल सोहर उहै सुख पावै हो।
सखिया जनम-जनम फल पावै लवटि नाहिं आवै हो।
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