हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
चैतन्य रूप तव अतुलित गति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
संदर्भ रहित तुम गुणनिधान, अध्यायों में अतिमधुर गान
तुम निराकार साकार तुम्हीं, प्रगटित है तुमसे नवविहान।।
संपूर्ण जीव के पूर्ण यति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
अन्तर्यामी हो मायापति, मधु - व्याप्त सुधा के गागर हो
तुम जगत नियन्ता सर्वेश्वर, सर्वज्ञ सकल सुख
सागर हो
तुम व्यय ही हो तव नहीं छति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
चैतन्य रूप तव अतुलित गति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
संदर्भ रहित तुम गुणनिधान, अध्यायों में अतिमधुर गान
तुम निराकार साकार तुम्हीं, प्रगटित है तुमसे नवविहान।।
संपूर्ण जीव के पूर्ण यति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
अन्तर्यामी हो मायापति, मधु - व्याप्त सुधा के गागर हो
तुम जगत नियन्ता सर्वेश्वर, सर्वज्ञ सकल सुख
सागर हो
तुम व्यय ही हो तव नहीं छति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
कण - कणवासी हो अविनाशी, अवतार रहित, अवतार रूप
सम्मोहित जगती सकल जीव, जीवों के तुम ही सार रूप
ज्ञानी में भरते विमल मति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
मन वचन काय त्रयताप विनाशक, बुद्धि विकासक तारक हो
नटराज तुम्हीं ऋतुराज तुम्हीं, ऋतुऐं परिवर्तन कारक हो
तव सुन्दरता झुक जाती रति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
अब कृपा करो हे कृपासिन्धु, मम जीवन तरणी पार करो
आशीष प्रदान करो अपना, प्रारब्ध भुला उद्धार करो
परिपूरित क्षमाशीलता कति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम
हे यदुनन्दन हे राधापति, माधव तुमको कोटिश प्रणाम ।।
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