घनश्याम का सहारा,गोविन्द नाम प्यारा।
करुणानिधान आये,जिसने उसे पुकारा।।
जब जा रही थी लज्जा,आवाज दी द्रुपदजा।
आया वो लाज रखने, बस कर दिया इशारा।।
रस्ता बहारी शबरी, चन्दन लगायी कुबरी।
दर्शन दिया प्रभू ने, जी भरके है निहारा।।
गजराज को उबारा, फिर ग्राह को है मारा।
विषपान किया मीरा, गोपाल है हमारा।।
सनमान से जो पाया, विदुरानी साग खाया।
लज्जा रखी भगत की, सम्मान हो विचारा।।
भज नाम गुरु से पाया, वेदों ने भी है गाया।
अब मिल गया जो न हो, मानुष जनम दोबारा।।
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/10/blog-post_13.html
करुणानिधान आये,जिसने उसे पुकारा।।
जब जा रही थी लज्जा,आवाज दी द्रुपदजा।
आया वो लाज रखने, बस कर दिया इशारा।।
रस्ता बहारी शबरी, चन्दन लगायी कुबरी।
दर्शन दिया प्रभू ने, जी भरके है निहारा।।
गजराज को उबारा, फिर ग्राह को है मारा।
विषपान किया मीरा, गोपाल है हमारा।।
सनमान से जो पाया, विदुरानी साग खाया।
लज्जा रखी भगत की, सम्मान हो विचारा।।
भज नाम गुरु से पाया, वेदों ने भी है गाया।
अब मिल गया जो न हो, मानुष जनम दोबारा।।
https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/10/blog-post_13.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें