श्याम हमारे दीन पुकारे
आ जाओ नंद दुलारे,
दरश के लिए।।
लागी लगन तुमसे सूझे न कुछ भी
झरते नयन रतनारे,
दरश के लिए।।
साँसें जपें तुमको उर में समाये
तुम ही हो प्राणाधारे,
दरश के लिए।।
तुम हो दिवस मेरे रजनी भी तुम ही
साँझ भई भिनसारे,
दरश के लिए ।।
दास प्रभू तेरा विनती करे तुमसे
ले चलो भव से किनारे,
दरश के लिए ।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html
आ जाओ नंद दुलारे,
दरश के लिए।।
लागी लगन तुमसे सूझे न कुछ भी
झरते नयन रतनारे,
दरश के लिए।।
साँसें जपें तुमको उर में समाये
तुम ही हो प्राणाधारे,
दरश के लिए।।
तुम हो दिवस मेरे रजनी भी तुम ही
साँझ भई भिनसारे,
दरश के लिए ।।
दास प्रभू तेरा विनती करे तुमसे
ले चलो भव से किनारे,
दरश के लिए ।।https://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2019/11/blog-post.html
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