Translate

बुधवार, 10 सितंबर 2014

       
अवधी-गीत
माईकै महिमा जगत
मां निराली ममता कै बरसै फुहार हो ।
जेकरिनि छहिंयाँ मां दुनिया हमारी मिलै
नित अँचरा मां प्यार हो।।
बुकवा औ तेलवा सनेहिया लगावैं
कजरा लगावैं रतनार हो
लागै न टोनवाँ ललन के हमारे ढि़ठवन
बनावै लिलार हो
अँचरा ओढ़ाय माई दुधवा पियावैं करैं निज
अँचरा बयार हो
माई कै़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़।।
लोरिया सुनावैं माई गोंदिया झुलावैं करैं
निज अँचरा बयार हो
निदिया न जबले नयनवाँ मां आवै
थपकी लगावैं सत् बार हो।
गीले मां सोइ माई -झूरे सोवावैं खुश  होंय
ललना निहार हो
माई कै़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़।।
आवै जौ छिंकिया शतंजीव बोलैं सुख
नाहीं उर मां समाय हो
देखि-देखि ललना मगन होंय माई कहैं
नित देवता मनाय हो ।
हमरिउ उमरि लैके जिया मोर
ललना मिलै सुख तुहुँका हमार हो
माई कै़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़।।
अंगुरी पकरि माई चलना सिखावैं और
सिखावैं व्यौहार हो
माई कै करजा उरिन नाहीं बाटै बाटै
बड़ा उपकार हो ।
सेवा भगति कैके
जिनगी सँवारा कही हम सबसे पुकार हो
माईकै़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़।।
रचनाकार-जयप्रकाश  चतुर्वेदी
ग्राम-चैबेपुर,पो0-खपराडीह,जि0-
फैजाबाद,उ0प्र0,पिन0-224205,
मो0-09936955846,9415206296

http://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2014/09/blog-post_10.html




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें