अन्तस से जो मीत बन गये
उनके ही अब गीत बन गये
लकुटी सा देकर आलम्बन
सदा सर्वदा कर अभिनन्दन
आज प्रीत के रीत बन गए
उनके ………………।
अपनापन दिखला नजरों में
तन के मन के हर मजरों में
प्रेमी पथ के शीत बन गये
उनके ………………।
नृत्य करे मन मीत देख
जिनकी अन्तस में अमिट रेख
आपस में जो प्रीत बन गये
उनके ...................... .... ।
कॉँटों के पथ को अपनाया
सारा सुख वैभव विसराया
जीवन के संगीत बन गये
उनके ………………… ।
छल प्रपंच से दूर रहे जो
दुनिया से मजबूर वो
अपनों से भी तीत गये
उनके …………………… ।
http://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2014/09/blog-post_10.html
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