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बुधवार, 10 सितंबर 2014

अन्तस से जो मीत बन गये 

उनके ही अब गीत बन गये
लकुटी सा देकर आलम्बन 
सदा सर्वदा कर अभिनन्दन 
आज प्रीत के रीत बन गए 
उनके  ………………। 
अपनापन दिखला नजरों में 
तन के मन के हर मजरों में 
प्रेमी पथ के शीत बन गये 
उनके   ………………। 
नृत्य करे मन मीत देख 
जिनकी अन्तस में अमिट रेख 
आपस में जो प्रीत बन गये 
उनके ...................... .... । 
कॉँटों के पथ को अपनाया 
सारा सुख वैभव विसराया 
जीवन के संगीत बन गये 
उनके ………………… । 
छल प्रपंच से दूर रहे जो 
दुनिया से मजबूर  वो 
अपनों से भी तीत  गये 
उनके …………………… । 

http://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2014/09/blog-post_10.html




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