मित्रों आज चन्द मुक्तक
माँते आँचल में अपने सुला लीजिए
फूल\किरपा के मुझमें खिला दीजिए
तुमसे विनती करूँ सिर झुकाये हुए
ज्ञान के दीप मुझमें जला दीजिए ॥ १
दिल में रहते सुरक्षित बिये प्रेम के
मोह लेते हैं मन हासिये प्रेम के
लाख चाहे बुझने की कोशिश करो
कभी बुझते नहीं हैं दिये प्रेम के ॥ २
http://jaiprakashchaturvedi.blogspot.com/2014/09/blog-post_41.html
माँते आँचल में अपने सुला लीजिए
फूल\किरपा के मुझमें खिला दीजिए
तुमसे विनती करूँ सिर झुकाये हुए
ज्ञान के दीप मुझमें जला दीजिए ॥ १
दिल में रहते सुरक्षित बिये प्रेम के
मोह लेते हैं मन हासिये प्रेम के
लाख चाहे बुझने की कोशिश करो
कभी बुझते नहीं हैं दिये प्रेम के ॥ २
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